मनुष्य क्षमा कर सकता है, देवता नहीं कर सकता। मनुष्य हृदय से लाचार है, देवता नियम का कठोर प्रवर्त्तयिता। मनुष्य नियम से विचलित हो सकता है, पर देवता की कुटिल भृकुटि नियम की निरंतर रखवाली के लिए तनी ही रहती है। मनुष्य इसलिए बड़ा है, क्योंकि वह गलती कर सकता है। और देवता इसलिए बड़ा होता है क्योंकि वह नियम का नियंता है।
Sunday, 24 April 2011
मनुष्य और देवता
मनुष्य क्षमा कर सकता है, देवता नहीं कर सकता। मनुष्य हृदय से लाचार है, देवता नियम का कठोर प्रवर्त्तयिता। मनुष्य नियम से विचलित हो सकता है, पर देवता की कुटिल भृकुटि नियम की निरंतर रखवाली के लिए तनी ही रहती है। मनुष्य इसलिए बड़ा है, क्योंकि वह गलती कर सकता है। और देवता इसलिए बड़ा होता है क्योंकि वह नियम का नियंता है।
मनुष्य और देवता
मनुष्य क्षमा कर सकता है, देवता नहीं कर सकता। मनुष्य हृदय से लाचार है, देवता नियम का कठोर प्रवर्त्तयिता। मनुष्य नियम से विचलित हो सकता है, पर देवता की कुटिल भृकुटि नियम की निरंतर रखवाली के लिए तनी ही रहती है। मनुष्य इसलिए बड़ा है, क्योंकि वह गलती कर सकता है। और देवता इसलिए बड़ा होता है क्योंकि वह नियम का नियंता है।
Subscribe to:
Posts (Atom)