भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक का कार्यालय , जो आम तौर पर आर.एन.आई. के नाम से जाना जाता है , पहली जुलाई 1956 को अस्तित्व में आया । इसकी स्थापना प्रथम प्रेस आयोग 1953 की सिफारिश पर प्रेस एवं पुस्तक पंजीयन अधिनियम 1867 में संशोधन करके की गई थी । प्रेस एवं पुस्तक पंजीयन अधिनियम में भारतीय समाचारपत्रों के पंजीयक के कर्तव्यों और कार्यों को दिया गया है । पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत के समाचारपत्रों के पंजीयक को सौंपे गए कुछ और दायित्वों के कारण यह कार्यालय कुछ विधि विहित और कुछ सामान्य दोनों तरह के कार्य कर रहा है ।
विधि विहित कार्यों के अन्तर्गत निम्नलिखित आते है:‑
(1) देश भर में प्रकाशित समाचारपत्रों का एक रजिस्टर तैयार करना , उसका रख रखाव करना और उसमें समाचारपत्रों का विवरण संकलित करना
(2) वैध घोषणा के अन्तर्गत प्रकाशित समाचारपत्रों को पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करना ,
(3) समाचारपत्रों के प्रकाशकों द्वारा प्रेस एवं पुस्तक पंजीयन अधिनियम की धारा 19‑डी के अन्तर्गत प्रसारण स्वामित्व , आदि सूचना के साथ प्रति वर्ष भेजे गए वार्षिक विवरण की जांच और विश्लेषण करना
(4) इच्छुक प्रकाशकों को घोषणा दायर करने के लिए जिला मजिस्ट्रेटों को उपलब्ध नामों की सूचना देना ,
(5) यह सुनिश्चित करना कि समाचारपत्र प्रेस और पुस्तक पंजीयन अधिनियम के प्रावधानों के अन्तर्गत प्रकाशित किए जाते हैं ,
(6) प्रेस और पुस्तक पंजीयन अधिनियम की धारा 19‑एफ के अन्तर्गत प्रकाशकों द्वारा अपने वार्षिक विवरणों में दिए गए प्रसार दावों की जांच करना ,और
(7) भारत में प्रेस के बारे में उपलब्ध समस्त सूचना तथा आंकड़ों और विशेष रूप से प्रसार तथा समान स्वामित्व वाली इकाइयों के क्षेत्र में उभरती प्रवृत्तियों के उल्लेख के साथ एक रिपोर्ट तैयार करना और उसे प्रति वर्ष 31 दिसम्बर को या उससे पहले सरकार को प्रस्तुत करना ।
सामान्य कार्यों के अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य आते हैं;‑
(1) अखबारी कागज आबंटन नीति और दिशा‑ निर्देशों का क्रियान्वयन और समाचारपत्रों का पात्रता प्रमाणपत्र जारी करना ताकि वे अखबारी कागज का आयात कर सकें और हकदारी प्रमाणपत्र जारी करना ताकि वे देशी अखबारी कागज प्राप्त कर सकें ।
(2) समाचारपत्र प्रतिष्ठानों की मुद्रण और कम्पोजिंग मशीनें और अन्य संबंधित सामग्री आयात करने की आवश्यक जरूरतों को मूल्यांकित और प्रमाणित करना ।
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